Monday 2 May 2016

न जाने किस बात पे नाराज़ है वो हमसे

शायरी भी शतरंज की तरह का ही एक खेल है...
जिसमें लफ़्ज़ों के मोहरे मात दिया करते हैं एहसासों को...!!

न जाने किस बात पे नाराज़ है वो हमसे...
आजकल ख्वाबों में भी मिलती है,
तो बात नहीं करती...!!

हम जा रहे हैं वहां,जहाँ दिल की क़दर हो...
बैठी रहो तुम अपनी ज़िद और अदाएं लिए हुए...!!

क़यामत का तो सुना था,कि कोई किसी का ना होगा...
मगर अब तो दुनिया में भी ये रिवाज़ आम हो गया है...!!

मेरी मोहब्बत को उस पगली ने ये कहकर ठुकरा दिया था कि,
तुम पागल हो इश्क़ में और मैं पागलों से प्यार नही करती...!!

भला लफ़्ज़ों में इंतज़ार को कहाँ तक लिखे कोई,
कभी तुम खुद ही आके देख लो,कि अब थक रहा हूँ मैं...!!

सोंच रहा हूँ, दिल का बीमा करवा दूं

अब किसी और के वास्ते ही सही...
पर अदाएं उसकी आज भी वैसी ही हैं...!!

सोंच रहा हूँ, दिल का बीमा करवा दूं...
क्योंकि कोई ना कोई इसे तोड़ ही देता है...!!

तुमने मुझे छोड़ कर...
किसी और का हाँथ तो थाम लिया है,
मगर ये याद रखना...
कि हर शख़्श मोहब्बत नहीं करता...!!

वाकई में ‪#‎DIGITAL‬ हो गया है ‪#‎INDIA‬...
क्योंकि आजकल दिल भी ऑनलाइन टूट रहे हैं...!!

काश कि तुम समझ सकती मोहब्बत के उसूलों को,
कि किसी के जीने की वजह बन के,
उन्हे तन्हा नहीं छोड़ा जाता...!!

इश्क और दोस्ती मेरे दो जहान है,
इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है...
इश्क पर तो फिदा कर दूँ अपनी पूरी ज़िन्दगी,
पर दोस्ती में तो मेरा इश्क भी कुर्बान है...!!

उसे मुझसे मोहब्बत हो रही थी...
आँख ना खुलती तो हो ही गयी थी...!!

बात मोहब्बत की थी...
तभी तो लुटा दी ज़िन्दगी तेरे ऊपर...
अगर "जिस्म से प्यार होता"...
तो तुझसे भी हसीन चेहरे बिकते हैं बाजार में...!!

ये भी हो सकता है कि मुझको फिर से वहम हुआ हो "गुरु"...
फिर भी एक बार पूछ लो ना अपने दिल से,
क्यों मुझे आवाज़ देता है...!!

मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से...
शायद मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी ही है...!!

ये उसकी मोहब्बत का नया दौर है "गुरु"

बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ अपने आप में,
लेकिन...
तुमको याद करने की वो आदत अब भी है...!!

तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे,
जो सिर्फ उतनी ही तकलीफ देते हैं...
जितनी बर्दास्त कर सकूँ...!!

ये उसकी मोहब्बत का नया दौर है "गुरु"...
कल तक जहाँ मैं था,वहाँ आज कोई और है...!!

‪#‎Single‬ रहने का ये आलम है यारों...
कि अभी तक किसी ने होली भी ‪#‎wish‬ नही किया...!!

तेरे गुरूर को देखकर,
तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने...
जरा हम भी तो देखे,
कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह...!!

लोग समझते हैं कि मैं तुम्हारे हुस्न पे मरता हूँ,
अगर तुम भी यही समझती हो तो सुनो,
जब अपना हुस्न खो देना, तब लौट आना...!!

खुदा की जन्नत को दुनिया में देखना चाहते हो,
तो सिर्फ एक बार माँ की गोद में सो कर देखना...!!

बड़ी बारीकी से तोड़ा है उसने दिल का हर कोना,
सच कहूँ...
मुझे तो उसके हुनर पे नाज़ होता है...!!

ए खुदा अगर तेरे पेन की स्याही खत्म हो गयी है,
तो मेरा लहू ले ले,
पर यूँ मोहब्बत की कहानियां अधूरी न लिखा कर...
वरना कसम से तुझे मानना छोड़ दूंगा...!!

अब तो सांस लेने में भी डर लगता है,
कि कुछ ख्वाहिशें अभी-अभी तो सोयी हैं...
कहीं फिर से न जाग जाएँ...!!

मैं भी खरीददार हूँ, मैं भी खरीदूँगा...
प्यार कहाँ बिकता है, पता बताना यारों...!!

लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी,
पर कलम से पहले आंसू कागज पर गिर गया...!!

लफ़्ज़ों का कारीगर हूँ

काश मिल जाती सपनों की शहजादी...
या फिर नवाज़ शरीफ की बेटी से हो जाती हमारी शादी 😕😕
मिल जाता कश्मीर समस्या का समाधान...
दहेज में ले आता पूरा पाकिस्तान...कसम से...!!

बहुत भीड़ सी हो गयी थी उसके दिल में,
अच्छा हुआ कि हम वक़्त पर निकल गए...!!

जिंदगी में जिनके लिए हर हद से गुजर गया हूँ मैं,
जाने क्यों अब उनके ही दिल से उतर गया हूँ मैं...!!

मुड़े-मुड़े से हैं,मेरी किताब-ए-इश्क़ के पन्ने,
ये कौन है, जो हमे हमारे बाद पढ़ता है...!!

मसला यह नहीं कि मेरा दर्द कितना है,
मुद्दा ये है कि, तुम्हें परवाह कितनी है...??

जब जान प्यारी थी तो दुश्मन हजारो मेंं थे,
अब मरने का शौक हुआ तो कातिल ही नही मिलते...!!

औक़ात नही थी जमाने में,
जो मेरी कीमत लगा सके,
कमबख्त इश्क में क्या गिरे,
मुफ़्त में नीलाम करने पर तुले हुए हैं लोग...!!

लफ़्ज़ों का कारीगर हूँ "गुरु", दर्द तराशता हूँ...
चीख़ भी निकल जाती है और शोर भी नहीं होता...!!

दिल की बात कहता हूँ, बुरा तो नहीं मानोगी...
बड़ी राहत के दिन थे, तेरी पहचान से पहले...!!

खुशनसीब कुछ ऐसे हम हो जायें...
तुम हो.. हम हो..और इश्क़ हो जाये...!!

दुनिया नसीहत अच्छी देती है,
अगर दर्द किसी और का हो...!!

Saturday 27 February 2016

सोंच रहा हूँ शायरी लिखना बंद कर दूँ

सोंच रहा हूँ शायरी लिखना बंद कर दूँ अब मैं यारों...
मेरी शायरी की वजह से दूसरों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते...!!

न कर जिद ए दिल अपनी हद में रह,
वो बड़े लोग हैं,अपनी मर्जी से याद करते हैं...!!

कहाँ मिलता है कोई समझने वाला,
जो भी मिलता है...
समझा के चला जाता है...!!

कल रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया,
सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी कभी...!!

दिन में काम नहीं सोने देता,
और रात में एक नाम नहीं सोने देता...!!

आज महिफल शांत कैसे है,
जख्म भर गये...या फिर
मोहब्बत फिर से मिल गयी...!!

मैं तेरा कोई नहीं मगर इतना तो बता,
ज़िक्र से मेरे,तेरे दिल में आता क्या है???

लड़का होना भी कोई आसान बात नही होती,
दिल टूटने के बाद भी खुश रहना पड़ता है
दुनिया के सामने...!!

ख़ुद भी शामिल नहीं हूँ सफ़र में

अगर बनना है तो गुलाब के फूल की तरह बनो,
क्योंकि ये फूल उसके हाँथ में भी खुशबू छोड़ देता है,
जो इसे मसल कर फेंक देता है...!!

ये जानते हुए भी कि तू नहीं है,
न जाने बेचैनियाँ मेरे भीतर तलाशती क्या हैं...!!

सर्दियाँ अब जाने को हैं...
और जाती हुई कोई भी चीज़ अच्छी नहीं लगती अब...!!

तू जहाँ तक कहे, "उम्मीद" वहाँ तक रखूँ,
पर हवाओं में "घरौंदे" मैं कहाँ तक रखूँ,
"दिल" की वादी से "ख़िज़ाओं" का अजब रिश्ता है,
फूल "ताज़ा" तेरी "यादों" के कहाँ तक रखूँ...!!

क्यूँ हर बात में कोसते हैं लोग नसीब को,
क्या नसीब ने कहा था कि मोहब्बत कर लो...!!

अब इतना भी सादगी का जमाना नहीं रहा,
कि तुम वक्त गुजारो अौर हम प्यार समझे...!!

बड़ी ज़ालिम होती है ये एकतरफा मोहब्बत,
वो याद तो आती हैं पर याद नहीं करती...!!

उसकी गहरी नींद का मंज़र भी कितना हसीन होता होगा,
तकिया कहीं... ज़ुल्फ़ें कहीं...और वो खुद कहीं...!!

ना जाने वो मुझे इतना प्यार क्यों करती है???
मैंने तो "माँ" को कभी गुलाब नहीं दिया...!!

याद उसे भी एक अधूरा अफ़साना तो होगा,
कल रस्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा...!!

कौन खरीदेगा अब हीरों के दाम मे तुम्हारे आँसू,
वो जो दर्द का सौदागर था न,
अब मोहब्बत छोड़ दी है उसने...!!

ख़ुद भी शामिल नहीं हूँ सफ़र में,
मगर लोग कहते हैं...कि क़ाफ़िला हूँ मैं...!!

महसूस कर रहें हैं तेरी लापरवाहियाँ कुछ दिनों से...
याद रखना अगर हम बदल गये तो,
मनाना तेरे बस की बात ना होगी...!!

माँ बहुत झूठ बोलती है

माँ बहुत झूठ बोलती है.....
सुबह जल्दी जगाने को, सात बजे को आठ कहती है।
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है।
मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती है।
छोटी छोटी परेशानियों पर बड़ा बवंडर करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
थाल भर खिलाकर, तेरी भूख मर गयी कहती है।
जो मैं न रहूँ घर पे तो, मेरी पसंद की कोई चीज़ रसोई में उससे नहीं पकती है।
मेरे मोटापे को भी, कमजोरी की सूजन बोलती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए, बोल कर,
मेरे साथ दस लोगों का खाना रख देती है।
कुछ नहीं-कुछ नहीं बोल, नजर बचा बैग में, छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
टोका टाकी से जो मैं झुँझला जाऊँ कभी तो,
समझदार हो, अब न कुछ बोलूँगी मैं,
ऐंसा अक्सर बोलकर वो रूठती है।
अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती हो जाती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाऊँगी,
सारी फ़िल्में तो टी वी पे आ जाती हैं,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है,
बहानों से अपने पर होने वाले खर्च टालती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
मेरी उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ा कर बताती है।
सारी खामियों को सब से छिपा लिया करती है।
उसके व्रत, नारियल, धागे, फेरे, सब मेरे नाम,
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
भूल भी जाऊँ दुनिया भर के कामों में उलझ,
उसकी दुनिया में वो मुझे कब भूलती है।
मुझ सा सुंदर उसे दुनिया में ना कोई दिखे,
मेरी चिंता में अपने सुख भी किनारे कर देती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
उसके फैलाए सामानों में से जो एक उठा लूँ
खुश होती जैसे, खुद पर उपकार समझती है।
मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे उदास होकर,
सोच सोच अपनी तबियत खराब करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
" हर माँ को समर्पित "

शायर बनना बहुत आसान है " गुरु "

जिन फूलों की परवरिश हमने अपनी मोहब्बत से की,
जब वो खुशबू के काबिल हुये तो औरों के लिए महकने लगे...!!

हर दर पर लहराता ये तिरंगा रहे,
हम रहें न रहें दुनिया में बस ये तिरंगा रहे,
सूख जाएँ आंसू हम सभी की आँखों से,
मेरे मुल्क में बहती सदा गंगा रहे,
दूर हो जाएँ हम सभी के दिलों से नफ़रतें,
जमीं पर कहीं भी न बाकी दंगा रहे,
ढक जाये बदन सब मुस्लिफों के भी,
मेरे प्यारे भारत में न कोई नंगा रहे,
होने न पाये द्रौपदी कोई लज्जित " गुरु ",
धरा पर दुर्योधन की न कोई जंघा रहे...!!

आ गया है फर्क उसकी नजरों में यकीनन,
अब एक खास अंदाज़ से, नजर अंदाज़ करती हैं हमे...!!

चलती हुई "कहानियों" के जवाब तो बहुत हैं मेरे पास,
लेकिन खत्म हुए "किस्सों" की खामोशी ही बेहतर है...!!

दाद देते है तुम्हारे नजर-अंदाज करने के हुनर को,
जिसने भी सिखाया, वो "उस्ताद" कमाल का होगा...!!

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के...!!

शायर बनना बहुत आसान है " गुरु "...
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री होनी चाहिए...!!

पागल हैं वो लोग जो 14 Feb को propose करते हैं ।
मैं तो कहता हूँ 1 April को करना चाहिए ।
मान गई तो Cool...
.
नहीं तो
.
दीदी April fool...!!

रहता तो नशा तेरी यादों का ही है,
लेकिन जब कोई पूछता है,
तो कह देता हुँ, पी रखी है...!!

मैंने उन सब चिड़ियों के पर काट दिए हैं,
जिन को अपने अंदर उड़ते देखा था...!!

मौसम में मस्त अजब सी खुमारी छा गई है,
अब लगता है मोहब्बत की फ़रवरी आ गई...💕

वो अगर हमसे बिछड कर खुश है,
तो खुदा करे...
मिलन का कोई मुकाम ना आये...!!

लिख देना ये अलफ़ाज़

रूकवा लेना दोस्तों मेरा जनाजा,
जब उसका घर आए...
शायद वो झांक ले खिड़की से,
और मेरा दिल धड़क जाए...!!

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं...
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं...!!

सुना था, मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले,
लेकिन जब हमारी बारी आई तो रिवाज ही बदल गया...!!

आज मौसम बहुत सर्द है ए दिल,
चलो कुछ ख्वाहिशों को आग लगाते हैं...!!

लिख देना ये अलफ़ाज़ मेरी कब्र पर,
मौत अच्छी है मगर दिल का लगाना अच्छा नही...!!

ये सोंचना गलत है कि तुम पर नजर नही है,
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बेखबर नही हैं...!!

हम तो आइना हैं दाग दिखाएंगे उस चेहरे के,
जिसको बुरा लगे वो सामने से हट जाये...!!

उस दिल की महफ़िल में आज अजीब सा सन्नाटा है,
जिसमे कभी तेरी हर बात पर महफ़िल सजा करती थी...!!

तुम्हारी गली के पीसीओ के पास वाली दीवार पे लिखा वही रॉंग नंबर हूँ मैं...
जो कई रंगो से पुत गया है अब...!!

Tuesday 19 January 2016

“जिन्दगी” पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं

ज़िन्दगी तुझ से एक सबक सीखा है मैंने...
वफ़ा सब से करो...
मगर वफ़ा की उम्मीद किसी से न करो...!!

जब बिखरेगा तेरे गालों पे तेरी आँखों का पानी...
तब तुझे एहसास होगा तेरा अपना कौन है...!!

इतना बता दो कैसे साबित करूँ कि तुम याद आती हो,
शायरी तुम समझती नहीं और अदायें हमे आती नहीं...!!

कहीं तुम भी न बन जाना "किरदार किसी किताब का"...
क्योंकि लोग बड़े शौक़ से पढ़ते हैं "कहानियां बेवफाओं की"...!!

हिचकियों में वफा ढूँढ रहा था,
कमबख्त गुम हो गई दो घूँट पानी पीने से...!!
बिलकुल तुम्हारी तरह...

दिल से खेलना तो हमें भी आता है…
लेकिन जिस खेल मे खिलौना टूट जाए
वो खेल हमे पसंद नही...

“जिन्दगी” पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं...
बहुत मजबूत रिश्ते थे कुछ “कमजोर” लोगों के साथ...!!

कुछ तो है... जो बदल गया है जिन्दगी में मेरी...
अब आइने में मेरा चेहरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता...!!

लगता है खुदा ने दिल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट चाईना को दे दिया है,
आज कल टूट बहुत रहे है...!!

टूट कर बिखर जाता है ये दिल

मुझे फर्क नही पड़ता दिसम्बर के बीत जाने से,
उदासी मेरी फितरत है इसे मौसम से क्या मतलब...??

ये कहना था उससे मोहब्बत है मुझको
ये कहने में मुझको ज़माने लगे थे...!!

टूट कर बिखर जाता है ये दिल...
जब कोई पूँछ लेता है कि,
तुमने भी प्यार किया था क्या " गुरु "...!!

वो जला रही है खून मेरा कतरा-कतरा...
कोई तो समझाओ उसको कि ,
उससे मेरा रिश्ता दिल का है ,खून का नही...!!

जरुरत है मुझे कुछ नये "नफरत" करने वालो की,
पुराने वाले तो अब चाहने लगे है मुझे...!!

वो कहती थी...
तुझसे बिछड़ कर वीरान हो जायेंगे हम,
जब उसके शहर मे आये हैं...
तो सबसे रोशन घर उसी का मिला है...!!

हालात कर देते है भटकने पर मजबूर " गुरु "...
घर से निकला हर शख्स आवारा नही होता...!!

लेने दे मुझे तू अपने ख़्वाबों की तलाशी,
मेरी नींद चोरी हो गयी है,
मुझे शक है तुझ पर...!!

काश मोहब्बत भी दिल्ली के ऑड-इवन फॉर्मूले की तरह होती,
एक दिन वो करती...दूसरे दिन उसकी सहेली !!

कर रखी थी मैने मोहब्बत से तौबा...
आज फिर तेरी तस्वीर देखकर नियत बदल गयी...!!

मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में...
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं...!!

अच्छा हुआ जो अब कोहरा पड़ने लगा...
तुम्हारे इंतज़ार में अब नज़र दूर तक न जाएगी...!!

ना चाहत, ना मोहब्बत, और ना वफा...
कुछ भी तो नही था उसके पास,
सिवाये हुस्न के...!!

किस उम्मीद में बैठा है "ए दिल"

जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
मेरी बेवफायी से ही मर जाओगे या मार के जाऊ!!

तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही...!!

वो एक मौका तो दे मुझें बात करने का दोस्तों,
मैं उसे ही रूला दूँगा,
उसी के दिये हुये दर्दं सुनाकर...!!

As the new year going to start.
I wish may the good times,
live on in our memories.
and may we learn lessons,
from the troubling times.
That will make us stronger
and better than ever.

Before the calendar turns a new leaf over, before the social networking sites get flooded with messages, before the mobile networks get congested, let me take a quiet moment out to wish you a wonderful, happy, healthy and
prosperous New Year.

किस उम्मीद में बैठा है "ए दिल"...
कि तुझे भी कोई "नया साल मुबारक हो" ये कहेगा,
"अरे पागल" जिसके बारे में तू सोंच रहा है,
वो किसी और के "नये साल" की सुबह बन चुकी है !!

तुम्हारी याद और सर्दियों का ये मौसम,
लोग ठिठुरते होंगें...
पर... मैं सुलगता रहता हूँ...!!

फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें...
क्यों ख्वाब में इतने पास आ जाती हो तुम...

बिखरा वजूद,टूटे ख्वाब,सुलगती तन्हाइयाँ, कितने हसीन तोहफे दे जाती है...
ये अधूरी मोहब्बत...!!

उन आँखों की दो बूंदों से समन्दर भी हारे होंगे,
जब मेहँदी वाले हाथो ने मंगलसूत्र उतारे होंगे..
पठानकोट शहादत को नमन...

आज ईमान मेरा थोड़ा खराब है "गुरु "

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गयी,
तो सर झुकाकर बोली, लकीरें झूठ बोलती हैं तुम सिर्फ मेरे हो...

आज ईमान मेरा थोड़ा खराब है "गुरु ",
आँखों में है वो और हाथों में शराब है...!!

छलक जाने दो पैमाने, महखाने भी क्या याद रखेंगे,
कि आया था कोई दीवाना अपनी मोहब्बत को भुलाने...!!

टूटने क़े बाद भी उसके लिए ही धडकता है...
लगता है मेरे दिल का दिमाग खराब हो गया है...!!

बड़े अजीब से हो गए हैं रिश्ते आजकल...
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नही...!!

इश्क का होना भी लाज़मी है शायरी के लिए...
सिर्फ कलम ही लिखती तो आज हर दुकानदार ग़ालिब होता !!

छोड़ दिया मुझको आज मेरी मौत ने यह कह कर,
हो जाओ जब ज़िंदा, तो ख़बर कर देना...!!

लगता है मेरी नींद का किसी के साथ चक्कर चल रहा है,
सारी-सारी रात गायब रहती है...!!

बहुत दूर जाना पडता है जीवन में...
यह जानने के लिए कि नज़दीक कौन है...??

वादो से बंधी इक जंजीर थी जो तोड दी मैँने,
अब से जल्दी सोया करेंगे मोहब्बत छोड दी मैँने...!!

शायरी मेरा शौक नहीं,
ये तो मोहब्बत की कुछ सज़ाएं हैं !!

Thursday 10 December 2015

आज तो मिलने चली आओ

आज तो मिलने चली आओ,
इतनी धुंध में भला कौन देखेगा...!!

चलो आज ये दुनिया बाँट लेते है,
तुम मेरी और बाकी सब तुम्हारा...!!

चलो हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा,
चाहे वो फ़ासला ही सही...!!

तेरे लिये इस दिल ने कभी बुरा नही चाहा...
ये और बात है मुझे साबित करना नही आया...!!

ठंढी हवाएं क्या चली मेरे शहर मे...?
हर तरफ तेरी यादों का "दिसंबर" बिखर गया...!!

हमारी ख़ामोशी पर मत जाओ " गुरू "...
राख के नीचे अक्सर आग दबी होती है...!!

जख्म छुपाना भी एक हुनर है " गुरू ",
वरना यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है...!!

तुझको दिल से निकालने के लिए,
दिल को खुद से निकाल बैठे हैं...!!

मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं...
मुझे गैर कहने वाले...
तेरी बात मे दम है "गुरू"...!!

इसी बात ने उसे शक में डाल दिया होगा शायद,
इतनी मोहब्बत, उफ्फ…कोई मतलबी हीं होगा...!!